अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई

Paveen Sharma/Hu: दिल्ली उच्च न्यायालय में बुधवार को अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड आदेश को चुनौती दी थी। मुहर्रम के अवकाश के बावजूद, अदालत में चार घंटे तक चली इस बहस में बचाव पक्ष ने केजरीवाल को जमानत देने के लिए जोरदार तर्क पेश किए।

बिना पर्याप्त सबूत के गिरफ्तारी का आरोप

केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, सी हरिहरन और विक्रम चौधरी ने अदालत में कहा कि सीबीआई के पास उनकी गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। सिंघवी ने तर्क दिया कि सीबीआई ने केवल इस अंदेशे से गिरफ्तारी की कि केजरीवाल की रिहाई से स्थिति बदल सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि केजरीवाल को धनशोधन मामले में उच्च न्यायालय से रोक और उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल चुकी है, जिससे उनकी गिरफ्तारी अनुचित प्रतीत होती है।

मुख्यमंत्री आतंकवादी नहीं हैं

सिंघवी ने अदालत में कहा कि केजरीवाल आतंकवादी नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने बताया कि केजरीवाल को किसी प्रकार की नोटिस नहीं दी गई और न ही उनकी बात सुनी गई। सिंघवी ने विशेष अदालत द्वारा चार दिन पहले ही धनशोधन के मामले में दी गई नियमित जमानत का भी हवाला दिया। उन्होंने इमरान खान की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में कानून का शासन है और केजरीवाल की गिरफ्तारी गलत है।

सीबीआई का पक्ष

सीबीआई की ओर से पेश हुए अधिवक्ता डीपी सिंह ने केजरीवाल की याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी पुख्ता सबूतों के आधार पर की गई है और यह कानूनी रूप से सही है। सीबीआई ने कहा कि पांचों लोग, जिनकी जमानत की बात हो रही है, केजरीवाल, सिसोदिया और के. कविता के अधीन काम करते थे।

केजरीवाल की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि

ज्ञात हो कि केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। वह पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में थे। उन्हें ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और 20 जून को सुनवाई अदालत ने उन्हें जमानत दी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने रोक दिया था। 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को धनशोधन के मामले में अंतरिम जमानत दी थी।

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