पीएम के विदेश दौरे के साथ विपक्षी दलों के तंज का चल रहा महादौर, BJP भी पीछे नहीं

बिहार में हो रही विपक्षी दलों की एकजुटता बैठक पर गृह मंत्री अमित शाह ने तंज कसा है और कहा कि पटना में केवल फोटो सेशन चल रहा है। ‌ गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी एकता पर निशाना साधते हुए कहा कि कितनी ही पार्टी मीटिंग हुई जिनमें विपक्ष साथ नजर आया, मगर वे कभी साथ नहीं होंगे। ‌ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटों के साथ फिर से सरकार बनाएगी।



वहीं मिशन 2024 और विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए पटना में सभी विपक्षी दलों के साथ बैठक में शामिल हुए ‌ राहुल गांधी ने बीजेपी पर कई आरोप लगाए और जमकर हमला बोला। कहा – बीजेपी नफरत फैला रही है । देश तोड़ने का काम कर रही है। ‌ राहुल गांधी ने यह भी कहा कि बीजेपी लगातार हिंसा फैला रही है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस मोहब्बत फैला रही है और देश को जोड़ने का काम कर रही है।

वहीं आपको बता दें कि सियासी गलियारे की तपिश बढ़ गई है। बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दल एकजुट होकर साल 2024 में होने वाले चुनाव में मिलकर अपना दमखम दिखाने की तैयारी में जुट गए हैं। राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे , कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, जदयू के नेता ललन सिंह, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह समेत कई दिग्गज नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर बैठक में शामिल हुए।

फिलहाल निर्णय यह निकल कर आया है की 10 से 12 जुलाई में शिमला में फिर से एक बैठक होनी है। उसी बैठक में 2024 के चुनाव कि इनकी रणनीति निर्धारित होगी। अब अगली बैठक क्या रंग लाएगी यह यह तो आने वाले वक्त की कोख में है।

फिल्हाल हाल कुछ ऐसा है कि विपक्षी एकता में कांग्रेस ज़मीन तलाशती नज़र आ रही है। क्योंकि *विपक्षी दल अनेक – चाहत सिर्फ़ एक* — 2024 में होने वाले आम चुनाव में मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटाना।

बिहार में मौजूदा समय में जेडीयू और राजद की संयुक्त सरकार है, इसलिए विपक्षी दलों की बैठक मुख्यमंत्री नितीश कुमार के सरकारी आवास पर हुई। अब सवाल उठता है कि विपक्षी की एकता में कांग्रेस का क्या होगा?

सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दिल्ली और पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को हरा कर ही सत्ता प्राप्त की है। 20 जून को ही केजरीवाल ने राजस्थान के श्रीगंगानगर में कांग्रेस को हराने की घोषणा की है। केजरीवाल ने भाजपा के साथ साथ कांग्रेस को भी भ्रष्टाचारी बताया है। अब जब मोदी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष बनाया जाएगा तो क्या ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता कांग्रेस के साथ कोई समझौता कर लेंगे? यदि कांग्रेस के साथ समझौता करते हैं तो फिर उनके दलों का क्या होगा? देश में जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल सत्ता में है, उन्होंने कांग्रेस को ही हराया है। अब सवाल उठता है कि भाजपा को हराने के लिए क्या विपक्ष हर मोर्चे पर समझौता करने को तैयार है।

अरविंद केजरीवाल भले ही राहुल गांधी के साथ विपक्ष की बैठक में शामिल हुए हों, लेकिन केजरीवाल ने राजस्थान के सभी 200 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। गुजरात में भी केजरीवाल ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इससे गुजरात में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। जानकारों की मानें तो केजरीवाल ने 23 जून की बैठक में इसलिए उपस्थिति दर्ज कराई ताकि दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का साथ लिया जा सके। हालांकि दिल्ली कांग्रेस के नेता पहले ही केजरीवाल का विरोध कर चुके हैं। सवाल यह भी है यदि कांग्रेस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी तो फिर केजरीवाल विपक्ष के एजेंडे में शामिल क्यों होंगे? गुजरात में केजरीवाल को जो वोट मिले उसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद केजरीवाल भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी जैसे नेता भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। मोदी को हटाने के लिए विपक्षी दल पाकिस्तान परस्त महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के साथ बैठने को भी तैयार हैं। वहीं इस बैठक में अखिलेश यादव, शरद पंवार, उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने भाग लिया। यूपी में कांग्रेस के वोट अखिलेश यादव ने ही हड़पे हैं। इसी प्रकार महाराष्ट्र में कांग्रेस के वोट लेकर ही शरद पंवार मजबूत स्थिति में है। ममता बनर्जी ने तो कांग्रेस से निकल कर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सफाया कर दिया। आज बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। विपक्षी एकता में कांग्रेस की भूमिका ही महत्वपूर्ण होगी। मौजूदा समय में भी लोकसभा में कांग्रेस के 49 सांसद हैं, जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु के डीएमके का नंबर है। डीएमके 24 और तीसरे नंबर पर ममता बनर्जी के 24 सांसद हैं।

पटना में हुए इस विपक्षी एकता के समीकरण में कांग्रेस एक बेचारे की तरह नजर आ रही है क्यों देश से जनाधार समाप्त होता देख किसी भी स्थिति में कांग्रेस समझौता काटने को तैयार है…. कांग्रेस के इस हालत पर आज भाजपा चुटकी ले रही है…. भाजपा इस विपक्षी बैठक से घबराने के बजाय कांग्रेस के बेचारेपन पर तंज कस रही है।

आज 13 से भी ज्यादा राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार हैं। कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। यह सही है कि हाल ही में कर्नाटक की जीत से कांग्रेस का हौसला बुलंद है। 23 जून को नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों की बैठक तो सफल हो गई, ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ किस प्रकार का समझौता करती है।

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