हजारीबाग NTPC कोल माइंस मे महिलायें 100 टन ढोने वाली डंपर चला पेश कर रहीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल

Hazaribagh : आज पूरा विश्व महिला दिवस मना रहा है, इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित किया जाता है. क्यों कि देश के निर्माण में जितना पुरूषों का योगदान है उतना ही महिलाओं का भी है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम झारखंड के हज़ारीबाग के  बड़कागांव क्षेत्र की कहानी बताने जा रहे है जो कि कोल माइंस के लिए जाना जाता है और इसी कॉल माइंस में एक कॉल माइंस है हजारीबाग बड़कागांव का एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल माइन्स जहां से एशिया का सबसे बड़ा कन्वेयर बेल्ट कोयले की धुलाई करता है लेकिन आज जो हम कहानी आपके सामने लेकर आए हैं वह कुछ अलग है और महिला सशक्तिकरण की एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है । भारत का यह इकलौता ऐसा कोल माइंस है जहां महिलाएं वह काम कर रही हैं जिन कामों में कभी पुरुषों का एक तरफा वर्चस्व रहा करता था लेकिन एनटीपीसी पकरी बरवाडी के अधिकारियों की सकारात्मक सोच ने रांची में पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं को एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल माइंस में बड़े-बड़े डंपर चलाने की ट्रेनिंग देकर वह काम करवा दिया जो अभी तक भारत के किसी भी कॉल माइंस में नहीं होता है । यहां महिला डंफर ड्राइवर तो शिफ्ट में 100 टन कोयला लेकर पकरी बरवाडीह कोल खनन परियोजना के अंदर से बाहर आती हैं और साहस ऐसा की सबसे बड़ी डंपर जो 240 टन कोयला लेकर बाहर आती है ट्रेनिंग मिलने पर उसे भी चलाना चाहती हैं

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