झारखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा तेज, अगले सप्ताह हो सकती है घोषणा

TeamHU: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा का 9 से 12 दिसंबर तक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। गठबंधन में शामिल दलों और विधायकों के बीच लॉबिंग तेज हो गई है, जबकि मुख्यमंत्री और शीर्ष नेतृत्व इसे अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार में फॉर्मूला और संतुलन

सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल का विस्तार 6:4:1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा।

जेएमएम से 6 मंत्री

कांग्रेस से 4 मंत्री

राजद से 1 मंत्री
यह फॉर्मूला गठबंधन के भीतर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाए रखने के लिए तय किया गया है।

भाकपा-माले ने मंत्रिमंडल से दूरी बनाए रखने का संकेत दिया है, लेकिन इसका अंतिम फैसला पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य जल्द करेंगे।

कांग्रेस और जेएमएम विधायकों की लॉबिंग

मंत्री पद पाने की होड़ में कांग्रेस और झामुमो के विधायक सक्रिय हैं।

कांग्रेस के विधायक दीपिका पांडे सिंह और भूषण बड़ा दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।

झामुमो के अनंत प्रताप देव और लुईस मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की।
यह मुलाकात बधाई देने के बहाने की गई, लेकिन असल उद्देश्य मंत्री पद पर चर्चा करना माना जा रहा है।

किन विधायकों का मंत्री बनना तय?

जेएमएम कोटे से संभावित मंत्री:

1. रामदास सोरेन:
कोल्हान क्षेत्र में झामुमो का मजबूत चेहरा। चंपई सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद इन्हें प्रमोट किया गया।

2. दीपक बिरुआ:
झारखंड आंदोलन से जुड़े हुए हैं। पिछले कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं।

3. मथुरा महतो:
महतो (कुर्मी) वोट बैंक को साधने के लिए इन्हें मंत्री बनाया जा सकता है।

4. हफीजुल हसन:
अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि और मधुपुर से विधायक। पहली बार बिना विधायक रहते मंत्री बने थे।

5. लुईस मरांडी:
भाजपा छोड़कर झामुमो में आईं। जामा विधानसभा सीट से चुनाव जीता।

 

कांग्रेस कोटे से संभावित मंत्री:

1. इरफान अंसारी:
अल्पसंख्यक समुदाय से, विवादित बयानों के बावजूद उनकी स्थिति मजबूत है।

2. दीपिका पांडे सिंह:
महिला प्रतिनिधित्व के लिए कांग्रेस की पहली पसंद।

 

राजद कोटे से संभावित मंत्री:

सुरेश पासवान:
देवघर से विधायक। यादव समुदाय और एससी कोटे का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार में देरी क्यों?

गठबंधन की सहमति: पार्टियों के बीच पदों का बंटवारा और नाम तय करने में सहमति नहीं बन पा रही।

क्षेत्रीय संतुलन: जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखना चुनौतीपूर्ण है।

पार्टी के भीतर खींचतान: खासकर कांग्रेस में कई विधायक मंत्री बनने की होड़ में हैं।

अगले सप्ताह तक मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संकेत दिए हैं कि विशेष सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री की जरूरत को देखते हुए यह जरूरी है।
विशेष सत्र (9-12 दिसंबर) से पहले कैबिनेट की बैठक और मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा संभावित है।

झारखंड की नई सरकार का विस्तार क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधते हुए गठबंधन की मजबूती पर केंद्रित होगा।

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