झारखंड में जल्द होगा मंत्रिमंडल विस्तार, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन पर रहेगा जोर

Team HU: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन के दलों के बीच मंथन जारी है। जल्द ही गठबंधन की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय सभी दलों की सहमति से होगा।

झामुमो कोटे से मंत्री बनने की चर्चा

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कोटे से मंत्री पद के दावेदारों का चयन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किया जाएगा। पूर्ववर्ती सरकार में शामिल विधायकों को एक बार फिर मौका मिल सकता है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में हारने वाले विधायकों की जगह नए चेहरों को मौका दिए जाने की संभावना है। पार्टी क्षेत्रीय और जातीय संतुलन पर विशेष ध्यान दे रही है।

कांग्रेस के सामने चुनौती

मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे अधिक चुनौती कांग्रेस के हिस्से में है। कांग्रेस के कुल 16 विधायक चुनाव जीतकर आए हैं, जिनमें से अधिकांश मंत्री पद के इच्छुक हैं। पिछली सरकार में कांग्रेस के चार मंत्री थे, लेकिन इस बार विधायकों की संख्या बढ़ने के कारण 5 विधायकों पर 1 मंत्री का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो कांग्रेस को केवल 3 मंत्री पद मिल सकते हैं।

राजद में कम खींचतान

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के हिस्से में एक मंत्री पद तय माना जा रहा है। राजद के 4 विधायक जीतकर आए हैं। पार्टी के भीतर विधायक दल के नेता सुरेश पासवान को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। इसके अलावा संजय प्रसाद यादव (गोड्डा) और संजय सिंह यादव (हुसैनाबाद) भी इस दौड़ में शामिल हैं।

भाकपा-माले का फैसला लंबित

गठबंधन की सहयोगी भाकपा-माले ने अब तक यह तय नहीं किया है कि वह सरकार में शामिल होगी या बाहर से समर्थन देगी। पार्टी के 2 विधायक इस बार विधानसभा पहुंचे हैं। माले की सैद्धांतिक नीति सरकार में शामिल होने से परहेज करने की है। पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य रांची में पार्टी नेताओं से इस पर चर्चा कर रहे हैं। अगले एक-दो दिनों में स्थिति स्पष्ट हो सकती है।

मंत्रिमंडल में झामुमो को प्राथमिकता

कांग्रेस के कोटे में कटौती की संभावना के चलते झामुमो के मंत्रियों की संख्या बढ़ सकती है। गठबंधन सरकार में क्षेत्रीय संतुलन और जातीय प्रतिनिधित्व के आधार पर नियुक्तियां होंगी।

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार ने विकास और समावेशी नीति को प्राथमिकता देने की बात कही है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर नजर रहेगी।

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