धनरोपणी के दौरान गीत गाने की प्रथा बनी आकर्षण का केंद्र

Team Hu: पलामू जिले में इस बार धनरोपणी का मौसम आ चुका है, और महिलाओं की पारंपरिक गीत गाने की परंपरा ने फसलों की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को खास बना दिया है। धान रोपनी के दौरान कजरी, झूमर और ठुमर जैसे लोकगीतों का गायन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि काम को भी आनंददायक बनाता है। गीतों के साथ काम करने से किसानों का मन लगता है और काम की गति भी तेज होती है।

इस बार बारिश में देरी के कारण किसान अगस्त के पहले सप्ताह में धनरोपणी कर रहे हैं। जुलाई के अंत में आई बारिश ने खेतों को तरोताजा कर दिया, जिससे रोपनी के लिए उपयुक्त स्थिति बन गई। महिलाएं खेतों में धान की रोपनी कर रही हैं और इस दौरान पारंपरिक गीत गाते हुए काम को खुशी से कर रही हैं।

धनरोपणी से पहले देवताओं की पूजा

धनरोपणी की शुरुआत में देवताओं की पूजा का महत्व है। पलामू जिले के पुरुबडीहा गांव की निवासी दुखनी कुंअर ने बताया कि इस अवसर पर आकाश, सूरज, धरती माता और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। महिलाएं विशेष गीतों के माध्यम से देवताओं का आह्वान करती हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करती हैं।

गीतों की परंपरा

पारंपरिक गीत जैसे “केकर तिरियवा केसिया झारस हो राम” खेतों में काम करने के दौरान गाए जाते हैं, जो माहौल को हल्का और आनंदमय बनाते हैं। ये गीत न केवल श्रम को आसान बनाते हैं, बल्कि गांव की सांस्कृतिक धरोहर को भी बनाए रखते हैं।

इस प्रकार, पलामू में धनरोपणी का मौसम न केवल फसल की उन्नति का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का भी एक अवसर है।

 

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