Team Hu: सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है, खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए। इस महीने के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करने की परंपरा है। आइए जानते हैं कि सावन में दही, दूध और साग का सेवन क्यों वर्जित माना जाता है:
धार्मिक कारण
1. सात्विक आहार : सावन में सात्विक आहार को महत्व दिया जाता है, जो ताजे और हल्के होते हैं। दही, दूध और साग के निर्माण में उपयोग होने वाली विधियों के कारण ये सात्विक सिद्धांतों से मेल नहीं खाते।
2. भगवान शिव की पूजा : भगवान शिव को दूध और दही से अभिषेक किया जाता है, और उनकी पूजा में बेल पत्र और भांग अर्पित की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन वस्तुओं का पूजा में उपयोग होता है, उन्हें भोजन में शामिल करना अशुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक कारण
1. मौसम और बैक्टीरिया : सावन के महीने में हल्की बारिश के साथ कीटाणुओं और जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है। दही बैक्टीरिया से बनती है, जिससे इसका सेवन तामसिक गुणों के कारण वर्जित किया जाता है।
2. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण : आयुर्वेद के अनुसार, दही तामसिक गुणों वाला होता है, जो सुस्ती और स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सर्दी-जुकाम और खांसी का कारण बन सकता है। यह भक्तों के आध्यात्मिक अभ्यास को प्रभावित कर सकता है।
3. साग और दूध का संबंध : पत्तेदार सब्जियों में कीड़े-मकौड़े हो सकते हैं, और इनसे दूध प्राप्त करने वाले पशु स्वस्थ नहीं रह सकते। इस वजह से सावन में डेरी उत्पादों जैसे दूध और पनीर का सेवन नहीं किया जाता।
सावन के महीने में इन खाद्य पदार्थों से परहेज करने से धार्मिक आस्थाओं का पालन होता है और शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है।