TeamHU : दिल्ली के आईटीओ स्थित प्यारे लाल भवन में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल और चुनौतियों पर बनी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया। दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम को रोक दिया, जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोपों की झड़ी लगा दी।
पुलिस ने स्क्रीनिंग क्यों रोकी?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, चुनावी आदर्श आचार संहिता लागू होने के चलते इस कार्यक्रम के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी।
डीसीपी का बयान: “चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए डीईओ कार्यालय से अनुमति लेनी होगी। उक्त आयोजन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी, जो चुनावी नियमों का उल्लंघन है।”
आप का आरोप: भाजपा को डर
आम आदमी पार्टी ने स्क्रीनिंग रोकने के फैसले को भाजपा की साजिश करार दिया।
AAP का बयान: “यह डॉक्यूमेंट्री उन घटनाओं को उजागर करती है जब आप नेताओं को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था। भाजपा इसे रोककर जनता से सच छिपाना चाहती है।”
आप का दावा है कि दिल्ली के थिएटर मालिकों को भी फिल्म न दिखाने की धमकी दी गई।
केजरीवाल का हमला
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से लिखा:
“बीजेपी इस डॉक्यूमेंट्री से डर गई है। आखिर इसमें ऐसा क्या है, जो भाजपा नहीं चाहती कि जनता देखे? यह फिल्म भाजपा सरकार के अवैध और असंवैधानिक कृत्यों को उजागर करती है।”
क्या है डॉक्यूमेंट्री का विषय?
डॉक्यूमेंट्री में आम आदमी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी, उन पर लगे आरोप, और पार्टी द्वारा किए गए कार्यों को दिखाया गया है।
इसमें पार्टी के पिछले 10 वर्षों के दौरान दिल्ली में विभिन्न मुद्दों पर किए गए प्रयासों को भी शामिल किया गया है।
पुलिस और चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग की आचार संहिता लागू होने के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।
पुलिस ने बताया: “यह एक मानक प्रक्रिया है। सभी राजनीतिक दलों से आग्रह है कि चुनाव नियमों का पालन करें।”
AAP का अगला कदम
आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग जरूर करेगी।
AAP का बयान: “हम बीजेपी की दमनकारी नीतियों से डरने वाले नहीं हैं। यह फिल्म जनता तक पहुंचेगी और सच सामने आएगा।”