TeamHU: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के पिछड़ेपन के लिए नीति निर्माताओं की उदासीनता को दोषी ठहराते हुए कहा कि यहां की स्थानीय आबादी, खासकर आदिवासी और मूलवासी, हमेशा विकास की दौड़ में पीछे रह गए। उन्होंने कहा कि झारखंड, जिसे कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था, अपने प्रचुर खनिज संसाधनों के बावजूद पीछे छूट गया।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि नीति निर्माताओं ने झारखंड को कभी भी महत्व नहीं दिया और यहां के लोगों को मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे उन्हें अपनी आजीविका के लिए पलायन करना पड़ा। सीएम सोरेन ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार के पास राज्य के 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसे अगर राज्य को मिल जाता तो झारखंड की किस्मत और दिशा बदल दी जाती।
हेमंत सोरेन रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने 201.83 करोड़ रुपये से अधिक की 96 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। साथ ही उन्होंने विभिन्न लाभार्थियों के बीच 103.41 करोड़ रुपये की संपत्ति भी वितरित की। इसके पहले उन्होंने 1980 में गुआ में बिहार पुलिस की गोलीबारी में मारे गए राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित एक शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।
सीएम सोरेन ने कहा, “हमने लंबे समय तक अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी है और इस संघर्ष में कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। आदिवासी खून की हर बूंद हमें और मजबूत बनाती है, और हम अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।”
उन्होंने अपनी सरकार की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पहले दो साल वैश्विक महामारी और उसके बाद सूखे के खतरे जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, उनकी सरकार ने जनहित में कई कल्याणकारी योजनाएं लागू करने में सफलता पाई है।