गढ़वा में हाथियों के आतंक से त्रस्त परिवार को सांप ने दी दर्दनाक सजा

अनिल पटेल /hu: झारखंड के गढ़वा जिले में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक व्याप्त है, जिसके चलते कई ग्रामीण अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। इसी क्रम में एक परिवार के लिए यह डर बेहद महंगा साबित हुआ जब हाथियों से बचने की कोशिश में उनके बच्चों को सांप ने अपना शिकार बना लिया। यह हृदय विदारक घटना चिनिया थाना क्षेत्र के चपकली गांव की है, जहां सांप के काटने से तीन मासूमों की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची अभी भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।

हाथियों के डर से दूसरे घर में ली शरण, सांप ने छीनी मासूमों की जिंदगी

चपकली गांव में हाथियों का ऐसा खौफ फैला हुआ है कि लोग अपने घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर किसी अन्य सुरक्षित जगह पर रात बिताने को मजबूर हैं। ऐसे ही एक परिवार के चार बच्चे, हाथियों के डर से अपने दादा के घर में शरण लिए हुए थे। दुर्भाग्य से, गुरुवार की रात को करीब एक बजे उन्हें एक जहरीले सांप ने डस लिया। इस हादसे में तीन बच्चों – पन्नालाल कोरवा (15), कंचन कुमारी (8) और बेगी कोरवा (9) – की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि चौथी बच्ची, राखी कुमारी, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।

अंधविश्वास ने छीनी बच्चों की जान

हादसे के बाद परिवार में अफरा-तफरी मच गई। बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाने की बजाय, परिजन उन्हें झाड़-फूंक के लिए पास के एक गांव में ले गए। इस अंधविश्वास के चलते दो बच्चों ने झाड़-फूंक के दौरान ही दम तोड़ दिया। तीसरे बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने भी दम तोड़ दिया। इस घटना से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।

प्रशासन ने की आर्थिक मदद की घोषणा

घटना की जानकारी मिलने पर चिनिया थाना प्रभारी नीरज कुमार और स्थानीय प्रशासन के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें 15-15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। साथ ही, उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और हाथियों के आतंक से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

हाथियों के डर से ग्रामीणों की हालत बदतर

चपकली गांव और उसके आस-पास के इलाकों में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हाथियों से बचने के लिए कई ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर रात में खुले आसमान के नीचे या फिर सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में शरण लेने को मजबूर हैं। इस घटना ने हाथियों के आतंक के साथ-साथ ग्रामीणों के अंधविश्वास की समस्या को भी उजागर किया है, जिससे निपटना आज के दौर में अत्यंत आवश्यक है।

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