Team Hu: जाह्नवी कपूर की नई फिल्म ‘उलझ’ को देखने के बाद एक पंक्ति में इसका सार प्रस्तुत किया जाए तो कहा जा सकता है कि यह फिल्म ‘एक्साइटिंग’ उलझन के बजाय ‘बोरिंग’ उलझन का प्रतीक है।
कहानी
फिल्म की कहानी सुहाना भाटिया (जाह्नवी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक प्रतिष्ठित भारतीय डिप्लोमैट वनराज भाटिया (आदिल हुसैन) की बेटी है। सुहाना को कम उम्र में ही डिप्टी हाई कमिश्नर बना दिया गया है। लंदन में उसके ट्रांसफर के बाद, वह ड्राइवर सलीम और नकुल (गुलशन देवैया) के जाल में फंस जाती है। नकुल उसे ब्लैकमेल करता है और सुहाना भारत के गोपनीय दस्तावेजों को लीक करना शुरू कर देती है, जिससे उसका करियर और परिवार की प्रतिष्ठा खतरे में पड़ जाती है।
निर्देशन
डायरेक्टर सुधांशु सरिया ने फिल्म का निर्देशन किया है, लेकिन उनकी यह कोशिश प्रभावहीन रही है। कहानी को परवीज शेख और सुधांशु सरिया ने मिलकर लिखा है, लेकिन इसे पर्दे पर सजीव करने में वे असफल रहे हैं।
अभिनय
जाह्नवी कपूर की परफॉर्मेंस निराशाजनक रही है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन में विविधता का अभाव है। गुलशन देवैया ने नकुल के किरदार में अच्छा काम किया है, लेकिन बाकी किरदारों में कोई खास दम नहीं है।
निष्कर्ष
फिल्म ‘उलझ’ को बोरिंग अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। इसका स्क्रीनप्ले कमजोर है और किरदार भी प्रभावशाली नहीं हैं। दर्शकों के लिए यह फिल्म एक उलझा हुआ और बोरिंग अनुभव साबित होगी।