Punjab: थाने के मुख्य गेट पर समर्थकों को संबोधित करता अमृतपाल।
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पंजाब में खालिस्तान की मांग पर आगे बढ़ रहे ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख जत्थेदार अमृतपाल सिंह को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय हस्तक्षेप कर सकता है। पंजाब में दो-तीन दिन से जो घटनाक्रम चल रहा है, आईबी ने उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। उसे मंत्रालय के टॉप अफसरों के साथ साझा किया गया है। अजनाला में गुरुवार को अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने जिस तरह से थाने पर धावा बोला और उसके बाद सरकार से अपनी बात मनवाते हुए अपने साथी को रिहा कराया, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है। इतना ही नहीं, जब पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने इस मामले में कार्रवाई की बात कही तो अमृतपाल सिंह ने दोबारा से ऐसी घटना होने की चेतावनी दे दी है।
पालकी की आड़ में पुलिस पर धारदार हमला
दरअसल, डीजीपी गौरव यादव ने कहा था कि अमृतपाल समर्थकों ने पुलिस से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी। पुलिस ने उन पर भरोसा किया। वे पुलिस की बात मानेंगे, यह सोचकर प्रदर्शन की इजाजत दे दी गई। बाद में अमृतपाल के समर्थकों ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी की आड़ में पुलिस पर धारदार हमला कर दिया। इसमें छह पुलिस कर्मी घायल हो गए। यादव ने कहा, इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई होगी। जो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, उनके बयान दर्ज़ किए जाएंगे। वीडियो साक्ष्यों को देखा जा रहा है। इस बयान पर जत्थेदार अमृतपाल सिंह भड़क गया और पुलिस को चेतावनी दे डाली। उसने कहा, पुलिस को यह मामला यहीं पर बंद कर देना चाहिए। अब किस बात के लिए कार्रवाई करनी है। हमने एक ऐसे बंदे को जेल से रिहा कराया है, जो बेगुनाह था। इस मामले में पुलिस ने लाठीचार्ज भी कर दिया। अब पुलिस को कार्रवाई किस पर करनी है।
सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल की यह धमकी, कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा संदेश है। इसमें धमकी है और चेतावनी भी है। खुफिया एजेंसी ने इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट, गृह मंत्रालय को सौंपी है। उसमें कहा गया कि पंजाब के अधिकांश हिस्सों में खालिस्तान पैर पसार रहा है। पंजाब के खुफिया महकमे और पुलिस के पास तमाम सूचनाएं होते हुए भी अमृतपाल को रोका नहीं जा सका। उसने जैसा कहा, पुलिस ने वैसा ही किया। इसके बाद भी अमृतपाल नहीं रुका। उसने कहा, खालिस्तान की मांग जारी रहेगी। ये अपना हक है। उनके इस बयान को सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बताया जा रहा है। इससे पंजाब में अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बन रहा है। इस मुद्दे पर जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जा सकती है। पंजाब में खालिस्तान की मांग और हिंसा की घटना पर अभी राजनीतिक दल खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका अहम
सत्ताधारी पार्टी भी इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इतना ही कहा है कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो। दूसरी ओर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी इस मामले में नपा तुला बयान दिया है। एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने अजनाला में अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस थाने में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को ले जाने की घटना पर एतराज जताया है। बेअदबी की इस घटना पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार फैसला लें। वे भी इस मामले में जत्थेदार साहिबान से बात करेंगे। हालाँकि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का नाम लेने में वे हिचकते रहे।
जानकारों का कहना है कि राज्य में खालिस्तान फल-फूल रहा है और सियासतदान मौन हैं। इस चुप्पी का मतलब समझा जा सकता है। पंजाब के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी कहते हैं, ऐसे समय में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका अहम हो जाती है। ये कोई सामान्य कानून-व्यवस्था का विषय नहीं है। अगर ऐसे मामले में स्टेट मशीनरी शांत बैठती है, तो केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए। अतीत का पंजाब, इसके अलावा ये बात भी ध्यान रखें कि यह राज्य, पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। पाकिस्तान मौके की तलाश में है। खालिस्तान की छोटी सी चिंगारी को शोला बनने में देर नहीं लगेगी। इस घटनाक्रम के बीच पंजाब के सीएम भगवंत मान ने मुंबई में कहा, गलत जानकारी फैलाई जा रही है। पंजाब में क़ानून व्यवस्था नियंत्रण में है। पंजाब पुलिस सक्षम है।