मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, राज्य में बढ़ी राजनीतिक हलचल

TeamHU : पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। विधानसभा को निलंबित करने के एक दिन बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद राज्यभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।


राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता जारी

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है। भाजपा अपने पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और विधायकों के साथ कई दौर की चर्चा के बावजूद नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बना सकी। इस राजनीतिक संकट के कारण केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।


जातीय हिंसा के बाद इस्तीफा

बीरेन सिंह ने करीब 21 महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है।

विधानसभा भंग नहीं, बहाली संभव

मणिपुर भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा ने कहा कि संविधानिक प्रक्रिया के तहत विधानसभा को फिलहाल निलंबित किया गया है, लेकिन इसे भंग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में हालात सुधरने पर विधानसभा को फिर से बहाल किया जा सकता है।

राहुल गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना

इस घटनाक्रम पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि यह मणिपुर पर शासन करने में भाजपा की असमर्थता की स्वीकृति है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,
“अब प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर की स्थिति से मुंह नहीं मोड़ सकते। क्या अब वे राज्य का दौरा कर शांति बहाल करने की अपनी योजना के बारे में बताएंगे?”

CPIM ने की जल्द चुनाव कराने की मांग

CPIM की मणिपुर इकाई ने राष्ट्रपति शासन हटाकर जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की। पार्टी के राज्य सचिव क्ष. शांता ने कहा कि सत्ता की लालसा ने मणिपुर को इस स्थिति में पहुंचाया है और पार्टी क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने के लिए संघर्ष करती रहेगी।

मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब राजनीतिक दलों और जनता की नजरें केंद्र सरकार की आगामी रणनीति पर टिकी हैं।

 

Leave a Comment

You May Like This